Bahut Hua Atyachar (बहुत हुआ अत्याचार) : हेलो दोस्तों और राम राम सारे भाइयो को ,आपका हमारे इस नए पोस्ट में स्वैग से स्वागत है , आज के हमारे इस पोस्ट में आपको "बहुत हुआ अत्याचार" पोएट्री (Poetry) पढ़ने मिलेगी।।
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तो चलिए आज के हमारे इस Bahut Hua Atyachar (बहुत हुआ अत्याचार) पोस्ट को शुरू करते है।
*बहुत हुआ अत्याचार*
तुझे कोई गाली दे तोह तुझसे हज़म न होता है
तू किसी को साली कुत्ती दुनिया भर की गाली बोले वह चलता है।
अरे भाई यह कहाँ का इन्साफ है, यह कहाँ की तमीज है।
तुझे उसने कुछ बोलै भी जो इतना कुछ तू बोल गया ।
तुझे ऐसी किस बात से दिक्कत है जो तू इतना मुँह खोल गया।
वह तुझे जानती भी नहीं पहचानती भी नहीं फिर काहेका
ये शोर और किस बात का हल्ला जिसका कोई मतलब नहीं ।
तू जनता है तेरी वजह से हम बदनाम है डर्टी है
वह घर से निकलने में भी आज पर तुझे क्या फरक पड़ता है
तुझे कोनसा कोई और काम है ।
बदनाम तू उसे करता जैसे वह तुझे देके गयी धोका है,
अरे भाई उसकी चॉइस सही है तेरे पास नहीं कोई मौका है ।
माँ बहिन को घर पे बिठा तू बनता राम है
पर दोस्त तू भगवान् क्या बनेगा तू तोह हैवान है ।
नीच सोच और इस शरीर की हवस कही और जा के निकाल
जो तेरी यह न नहीं सुनने की भड़ास है वह भी जाके कुए में डाल।
तेरी ज़रूरत नहीं इंसान को न तू इंसान खुद है
माँ बाप भी सोचते होंगे यह भी सुपुत्रा नहीं यह तोह हमारा ही कूपुत्रा है ।
आज लड़का होक में यह बोल रहा हूँ
शायद माफ़ी न मिल पाए मुझे भी पर
लड़का-लड़की से पहले किसी में इंसान में देखता हूँ ।
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*Bahut Hua Atyachar*
Tujhe koi gaali de toh tujhse hazam na hota hai,
Tu kisi ko saali, kutti, duniya bhar ki gaali bole, woh chalta hai ?
. Arre bhai, yeh kahan ka insaaf hai ?
Yeh kahan ki tameez hai ?
Tujhe usne kuch bola bhi, jo itna kuch tu bol gaya ?
Tujhe aisi kis baat se dikkat hai jo tu itna muh khol gaya ?
Woh tujhe janti bhi nahi, pehchanti bhi nahi,
Fir kaheka ye shor aur kis baat ka halla jiska koi matlab nahi ?
Tu janta hai, teri wajah se hum badnaam hai,
Darti hai woh ghar se nikalne mein bhi aaj,
Par tujhe kya farak padta hai, tujhe konsa koi aur kaam hai !!
Badnaam tu use karta jaise woh tujhe deke gayi dhoka hai,
Arre bhai, uski choice sahi hai, tere paas nahi koi mauka hai
Maa behan ko ghar pe bitha tu banta Ram hai,
Par dost tu bhagwaan kya banega, tu toh haiwan hai !!
Neech soch aur iss shareer ki hawas kahi aur jaa ke nikaal,
Jo teri yeh NA nahi sunne ki bhadaas hai woh bhi jaake kuey mein daal,
Teri zarurat nahi insaan ko, na tu insaan khud hai,
Maa baap bhi sochte honge,
yeh bhi suputre nahi yeh toh humara hi kuptre hai !!
Aaj ladka hoke mein yeh bol raha hun,
Shayad maafi na mil paaye mujhe bhi,
par ladka-ladki se pehle kisi mein insaan mein dekhta hun !!
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