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Teri Khushi Me Meri Khushi - तेरी खुशी में मेरी खुशी Poetry


Teri Khushi Me Meri Khusi - तेरी खुशी में मेरी खुशी Poetry

Teri Khushi Me Meri Khushi (तेरी खुशी में मेरी खुशी): 


Teri Khushi Me Meri Khushi (तेरी खुशी में मेरी खुशी) : हेलो दोस्तों और राम राम सारे भाइयो को ,आपका हमारे इस नए पोस्ट में स्वैग से स्वागत है , आज के हमारे इस पोस्ट में आपको "तेरी खुशी में मेरी खुशी" पोएट्री (Poetry) पढ़ने मिलेगी।। 

Teri Khushi Me Meri Khushi (तेरी खुशी में मेरी खुशी)- मित्रो अगर आपको ये पोएट्री(Poetry) पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले ,धन्यवाद ।


तो चलिए आज के हमारे इस Teri Khushi Me Meri Khushi (तेरी खुशी में मेरी खुशी) पोस्ट को शुरू करते है।


मैं जब उसे कहता था की मुझे तुम्हारी आँखें बहोत पसंद है 
और वो उन्हीं आँखों को मीच कर शर्मा जाती थी और 

उसका ये शर्माना मुझे उसकी आँखों से भी ज्यादा पसंद था, 
मैं जब उसे कहता था की मुझे छोड़ कर कभी मत जाना 

और वो उसी वक़्त मेरे हाथों को थाम कर मुझे गले लगाकर 
कहती थी की कभी नहीं, मैं जब उसे कहता था की मैं तुम्हे 

अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ और वो मेरी आँखों 
में देखकर कहती थी की मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ 

और बस उसकी इसी बात पर मैं उसपे अपनी जान छिड़कता था, 
मैं जब उसे कहता था की मैं तुम्हे दुनिया की साड़ी खुशियां देना चाहता हूँ

और वो मुस्कुरा कर कहती थी की मेरी ख़ुशी तो तुम्हारी ख़ुशी में हैं 
तो इसलिए मैं अपने आप को खुश रखने की कोशिश करता था,

 पर आज जब मैं उसे देखता हूँ और कहता हूँ की मुझे तुम्हारी 
आँखें भोत पसंद है तो वो उन् आखों को मीच कर शर्माती नहीं है, 

मैं जब उसे कहता हूँ की मुझे कभी छोड़ कर मत 
जाना तो वो मुझे गले नहीं लगाती है, 

मैं जब उसे कहता हूँ की मैं तुम्हे अपनी जान से भी ज्यादा 
प्यार करता हूँ तो वह यह नहीं कहती की मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ l 

क्यूंकि आज उसकी वो जान उन् तस्वीरों में कैद है और 
मैं यहाँ उसकी ख़ुशी के लिए बस अब अपने आप को 
खुश रखने की कोशिश करता हूँ l🥰🥰❤️


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Main jab use kehta tha ki, mujhe tumhari aankhein bhot pasand hai aur, 

Wo unheen aankhon ko meech kr sharmaa jaati thi, 
Aur uska ye sharmana mujhe uski aankhon se bhi jyada pasand tha. 

Main jab use kehta tha ki, Mujhe chod kar kabhi mat jana, 
Aur wo usi waqt, mere haathon ko thaam kar, 
Mujhe gale laga kr kehti thi, ki kabhi nhi. 

Main jab use kehta tha ki, Main tumhe apni jaan se bhi 
jyada pyaar karta hoon, Aur wo meri aankhon mein dekhkar, kehti thi ki, 

Main Tumhare lie apni jaan bhi de sakti hoon, 
Aur bas uski isi baat par, main uspe apni jaan chidakta tha. 

Main jab use kehta tha ki, Main tumhe duniya ki saari khushiyan 
dena chahta hoon, Aur wo muskura kar kehti thi ki, Meri khushi, 
to tumhari khushi mein hain, To islie, main apne aap ko 
khush rakhne ki koshish karta tha. 

Par Aaj jab main use dekhta hoon, Aur kehta hoon ki, 
Mujhe tumhari aankhein bhot pasand hai, 
to wo unn aakhon ko meech kar sharmati nhi hai. 

Main jab use khta hoon ki, Mujhe kabhi chod kar mat jana, 
to wo mujhe gale nhi lagati hai. 

Main jab use kehta hoon ki, main tumhe apni jaan se bhi 
jyada pyaar krta hoon, To woh yeh nhi kehti ki, 
main tumhare lie apni jaan bhi de sakti hoon. 

Kyunki aaj uski wo jaan, unn tasweeron mein kaid hai, 
Aur main yaha uski khushi ke liye,

 Bas ab apne aap ko khush rakhne ki koshish karta hoon 🥰🥰❤️


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